Devi Saraswati

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वसंत पंचमी के दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती की आराधना विविध प्रकार से की जाती है। मंत्रों से की गई आराधना विशेष प्रतिफलित होती है।

ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
यह मां सरस्वती का मूल मंत्र है।

ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
यह मां सरस्वती का संपूर्ण मंत्र है।

सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

हिन्दी भावार्थ:

यह जो विद्या की देवी माता सरस्वती है यह सफेद हंस पर बैठी हुई , कमल को धारण किए हुए। गले में सफेद पुष्पों की माला और चंद्रमा का धारण करती हैं , और सफेद शुभ वस्त्र पहनती हैं और जिनके हाथों में वीणा और पवित्र कमंडल तथा सफेद कमल सदैव विराजमान रहते हैं। ब्रह्मा – शंकर – विष्णु सदैव इनकी पूजा वंदना स्तुति करते हैं। वह भगवती मेरे जड़ता को दूर करें और सभी पापों से मेरी रक्षा करें।

जो मां सदैव जगत में ज्ञान का संचार करती हैं , अंधकार को दूर करने का मार्ग बताती हैं , जिनके वीणा और पुस्तक धर्म को धारण करती है। अंधकार से भक्तों को बचाती है हाथ में जिनके माला और ज्ञान – विज्ञान की जननी है और जो कमल पर आसन जमाती हैं। वह जगत – जननी परमेश्वरी भगवती मेरी बुद्धि को भी तेज प्रदान करें और मुझे बुद्धि तथा ज्ञान प्रदान करें। मेरी ज्ञान को शुद्ध कर मेरा उद्धार करें मैं ऐसी भगवती का सदैव वंदन करता हूं।